72 से 35 में पहुंचने वाली कांग्रेस की उम्मीदें,,,,

घनश्याम पाण्डेय
रायपुर– फोर्थ एंगल न्यूज़

सन्निकट लोकसभा चुनाव हेतु सारी कवायदों के बाद कांग्रेस पार्टी ने 6 लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशी की घोषणा कर दी है, निसंदेह ये एक बेहतरीन सूची है , लेकिन मोदी मैजिक के आगे ये नाम कितने कारगार साबित होंगे इसमें प्रश्नवाचक चिन्ह है, हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में 72 सीटों से 35 सीटों में पहुंचने वाली कांग्रेस पार्टी के लिए चुनौतियां कम नही है, बिखरी हुई कड़ियों को जोड़ना कांग्रेस संगठन की सबसे बड़ी चुनौती है, आम जन मानस मोदी की गारंटी पे भरोसा करने तैयार है वहीं कांग्रेस पार्टी अभी भी विश्वसनीयता के संकट से जूझ रही है, सर्वविदित है कि भाजपा से घोषित प्रत्याशी ज्यादा मायने नही रखते बल्कि मोदी का चेहरा चुनाव परिणाम को प्रभावित करेगा, जातीय समीकरणों को प्राथमिकता देकर छःग में प्रत्याशियों की घोषणा कांग्रेस पार्टी ने की है, बेहतर सूची होने के बावजूद महासमुंद लोकसभा से ताम्रध्वज साहू को प्रत्याशी बनाये जाना चर्चा का विषय है, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राजनांदगांव से न केवल मोदी मैजिक का सामना करना है बल्कि मिलनसार व्यक्ति और हर घर तक पहुंच रखने वाले संतोष पाण्डेय भी एक चुनौती है, साथ ही डॉ रमन सिंग की लोकप्रियता भी भूपेश बघेल की परेशानी का सबब बनेगी, रायपुर लोकसभा से बृजमोहन अग्रवाल के सामने कांग्रेस संगठन ने विकास उपाध्याय पे भरोसा जताया है, सम्पन्न विधानसभा चुनाव में राजेश मूणत से चुनाव हारने वाले विकास उपाध्याय के अलावा इस सीट से बृजमोहन अग्रवाल को कोई चुनौती दे सके ऐसा चेहरा कोई है भी नही, इस लिहाज से कांग्रेस का ये एक अच्छा निर्णय है,
कोरबा सीट से कद्दावर नेता चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्स्ना महंत की उम्मीदवारी सशक्त हो सकती है, कोरबा लोकसभा में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना अपने आप मे सुई में धागा डालने के सामान है, राष्ट्रीय स्तर पे अपनी पहचान बना चुकी सरोज पाण्डेय अपने पूरे दम खम से चुनाव में उतरने की मंशा बना चुकी हैं साथ ही सत्ता संगठन का भी भरपूर समर्थन है,
कुछ सवाल जनमानस में हैं , क्या जांजगीर चाम्पा से कांग्रेस के पास शिव डेहरिया के अलावा कोई चेहरा नही,,,?
क्या बस्तर लोकसभा में अंतरकलह की स्थिति है,,,?
क्या महासमुंद लोकसभा से ताम्रध्वज साहू जातीय समीकरण को साध पाएंगे,,,?
क्या राजनांदगांव सीट पूर्व सांसद महासमुंद चंदूलाल साहू की याद ताजा कर पायेगा, जब पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को महासमुंद से चंदूलाल साहू ने चुनाव हरा दिया था,
इन सभी सवालों के साथ ही एक सवाल भाजपा के सामने भी मुंह फाड़े खड़ा है, क्या मोदी का चेहरा ही हर बार जीत दिलाएगा, 2019 से 2024 तक जो सांसद रहे हैं वो अब कहाँ फ़ीट किए जाएंगे.

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